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नागवंश की पुराकथाएं

शिवकुमार तिवारी

प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :191
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13564
आईएसबीएन :9788126727278

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नागों की संस्कृति के अध्ययन में निश्चय ही यह एक उल्लेखनीय ग्रन्थ है

नागवंश की पुराकथाएं एतिहासिक भारत के उस आदि समाज की कथाएं हैं जिनके सूत्र संस्कृत, पली एवं प्राकृत भाषाओँ में लिखे प्राचीन ग्रंथों में मिलते हैं। वस्तुतः नाग संस्कृति मानव समाज की उन गिनी-चुनी विश्व-संस्कृतियों में से एक है, जिसका अविछिन्न प्रवाह विगत चार य पांच सहस्त्राब्दियो से अब तक गतिमान है। भारत में नागों के नाम पर नदियाँ हैं, क्षेत्र हैं, नगर हैं तथा व्यक्तियों के उपनाम हैं, ये नाग संस्कृति की जीवन्तता के प्रमाण हैं। 'नागवंश की पुराकथाएँ' भारत की एक आटीऍःईण किन्तु दीर्घजीवी विस्मृत-से पुरातन नाग संस्कृति के कुछ तिनकों को साथ रखकर रूपायित करने का प्रयास है। ग्रन्थ में संकलित कथाओं को सर्गो में विभाजित किया गया है। स्थापित कथाओं की चर्चा n करते हुए यह ग्रन्थ अल्पज्ञात पौराणिक संकेतों और लोक कथाओं में प्रचलित आख्यानों के आधार पर नाग समाज की संस्कृति और समजिन विशेषताओं को कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत करने का यत्न करता है। यह प्रयास अपने आप ही इस ग्रन्थ को दूसरे ग्रंथों के मुकाबले अग्रिम भूमिका में लाकर खड़ा कर देता है। नागों की संस्कृति के अध्ययन में निश्चय ही यह एक उल्लेखनीय ग्रन्थ है।

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